Monday, August 20, 2012

બીગ બોસ્સ  વિકાસ ભાઈ પરશુરામ સંવત્સરે


महिंद्रा सत्यम: बड़े सौदे हासिल होने से बढ़ेगी ताकत


 सत्यम कंप्यूटर्स (अब महिंद्रा सत्यम) के अधिग्रहण के तीन वर्ष बाद टेक महिंद्रा इस फर्म के कायाकल्प में सफल रही है। उसने ज्यादातर चुनौतियों को पार कर लिया है और वह प्रमुख व्यावसायिक विकास पर जोर दे रही है। महिंद्रा सत्यम के प्रदर्शन में पिछली 4-6 तिमाहियों से सुधार आया है जबकि टेक महिंद्रा भी मजबूत बनी हुई है। हालांकि महिंद्रा सत्यम बड़े सौदों (10 करोड़ डॉलर से अधिक के) में विफल रही है और सिर्फ 5 करोड़ डॉलर तक के सौदों के निष्पादन में सफल रही है। हालांकि विश्लेषक सौदों के मजबूत प्रवाह और विविध मार्जिन कारकों को देखते हुए दोनों ही कंपनियों पर सकारात्मक बने हुए हैं, लेकिन उनका मानना है कि महिंद्रा सत्यम का आगामी विकास बड़े सौदे हासिल करने की उसकी योग्यता पर निर्भर करता है।
दोनों ही फर्मों के प्रबंधन निर्णय लेने के चक्रों के संदर्भ में कुल मांग परिदृश्य को लेकर चौकस बने हुए हैं। महिंद्रा सत्यम के लिए, वृद्घि मौजूदा ग्राहकों की गति पर निर्भर करेगी जबकि टेक महिंद्रा के लिए गैर-बीटी व्यवसाय विकास का प्रमुख वाहक बना रहेगा। जून तिमाही के वित्तीय नतीजों के बाद ज्यादातर विश्लेषकों ने संयुक्त कंपनी टेक महिंद्रा-महिंद्रा सत्यम के लिए अपने वित्त वर्ष 2013 के आय अनुमानों में 8-10 फीसदी तक का इजाफा किया है। दोनों कंपनियों द्वारा मजबूत मार्जिन वृद्घि को देखते हुए विश्लेषकों ने इन आय अनुमानों में संशोधन किया है। जहां विलय से टेक महिंदा्र को लाभ मिला है वहीं प्रबंधन का मानना है कि कुछ प्रयासों का सकारात्मक परिणाम सामने आना अभी बाकी है।
ऐंजल ब्रोकिंग में आईटी विश्लेषक अंकिता सोमानी कहती हैं, '23.08 करोड़ की नई भागीदारी (टेक महिंद्रा और महिंद्रा सत्यम के विलय के बाद) को देखते हुए समेकित ईपीएस 84 रुपये पर है जिसके आधार पर टेक महिंद्रा की वैल्यू वित्त वर्ष 2013 की अनुमानित ईपीएस के 10 गुना पर है।' टेक महिंद्रा से जुड़े प्रमुख जोखिम हैं गैर-बीटी व्यवसाय में उम्मीद की तुलना में धीमी वृद्घि और 4500 करोड़ रुपये के अनुमान की तुलना में अधिक आकस्मिक देनदारियां। ज्यादातर विश्लेषक इन दोनों शेयरों पर सकारात्मक बने हुए हैं और उन्हें उम्मीद है कि चालू स्तरों से इनमें 15 फीसदी से अधिक की बढ़त देखने को मिलेगी।
महिंद्रा सत्यम
महिंद्रा सत्यम के अधिग्रहण के बाद टेक महिंद्रा ने ग्राहक/कर्मचारी बनाए रखने की दर और मार्जिन वृद्घि से जुड़ी ज्यादातर चुनौतियों को दूर कर लिया है। कंपनी ने पिछली 4-5 तिमाहियों में मजबूत राजस्व एवं आय वृद्घि भी दर्ज की है। प्रबंधन ने पिछले दो वर्षों के दौरान अपनी बिक्री और अकाउंट प्रबंधन कार्यों को भी सुव्यवस्थित बनाया है और इस पर लगातार ध्यान दिया है। हालांकि कंपनी 10 करोड़ डॉलर से बड़े आकार के सौदे हासिल करने में सफल नहीं रही है। हालांकि यूरोप और एशिया प्रशांत क्षेत्र में बड़े सौदे की प्रस्ताव प्रक्रिया में भागीदारी के लिए आमंत्रण की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन अमेरिका में यह प्रक्रिया सुस्त बनी हुई है।
हालांकि एडीआर डी-लिस्टिंग के लिए अमेरिका में आंशिक रूप से सुस्त प्रतिक्रिया को माना जा रहा है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि बड़े आकार के सौदे महिंद्रा सत्यम के आगामी विकास चरण के लिए अहम हैं। कुल मिला कर हालात में सुधार दिख रहा है।  आईआईएफएल के संदीप मुथंगी कहते हैं, 'महिंद्रा सत्यम के लिए बड़े सौदों की संभावना बढ़ी है, क्योंकि अमेरिका में भी पिछले कुछ महीनों में सौदों के प्रवाह में तेजी आई है।' प्रबंधन का भी कहना है कि कंपनी अमेरिका में बड़े सौदों (5 करोड़ डॉलर से अधिक) पर ध्यान दे रही है और उसे कुछ सौदे हासिल होने की उम्मीद है।
टेक महिंद्रा
टेक महिंद्रा के लिए प्रमुख समस्या प्रमुख ग्राहक ब्रिटिश टेलीकॉम (बीटी) से घटते राजस्व को लेकर है जो निचले स्तर पर दिख रहा है। बीटी व्यवसाय दो तिमाहियों से स्थिर बना हुआ है। बीटी प्रबंधन ने भी संकेत दिया है कि अपनी लागत को तर्कसंगत बनाए जाने की प्रक्रिया काफी हद तक पूरी हो गई है।
कंपनी ने पिछली कुछ तिमाहियों में अपने गैर-बीटी व्यवसाय का विस्तार किया है और भविष्य में भी इस राह पर तेजी से बढ़ रही है। कंपनी को जून तिमाही में अपने गैर-बीटी ग्राहकों से 5 करोड़ डॉलर का तीन वर्षीय अनुबंध मिला। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के कुलदीप कौल का मानना है, 'टेक महिंद्रा के कुल राजस्व में मौजूदा समय में बीटी का योगदान 36 फीसदी है जो पिछली लगभग 10 तिमाहियों के उसके कुल राजस्व के लगभग 50 फीसदी से कम है। हालांकि इसकी वजह यह है कि बीटी राजस्व वित्त वर्ष 2012 में 6 फीसदी घटा है वहीं वित्त वर्ष 2012 में गैर-बीटी राजस्व 20 फीसदी तक
बढ़ा है।' 
कुल मिला कर टेक महिंद्रा का डॉलर राजस्व में वित्त वर्ष 2012-14 के दौरान 4 फीसदी की सीएजीआर दर्ज होने की संभावना है। टेक महिंद्रा के कर्ज में लगातार कमी भी भविष्य में उसे मुनाफा बढ़ाने में मददगार साबित होगी

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 कोल इंडिया: अच्छा प्रदर्शन, लेकिन अनिश्चितता बरकरार

 कोल इंडिया का शेयर जून तिमाही के लिए आशाजनक प्रदर्शन दर्ज करने के बाद 1.64 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ। कंपनी का राजस्व 14 फीसदी जबकि मुनाफा सालाना आधार पर 8 फीसदी बढ़ा है। इस शेयर के लिए विद्युत उत्पादकों के साथ ईंधन आपूर्ति समझौतों (एफएसए) में पेनाल्टी क्लॉज में बदलाव से जुड़ी खबरें बेहद अहम हैं। हालांकि प्रस्तावित बदलाव सकारात्मक हैं, पर बाजार अभी आयातित कोयले (कम आपूर्ति की स्थिति में अंतर को पाटने) के लिए कोल इंडिया और विद्युत उत्पादकों के बीच प्राइस पूलिंग को लेकर स्पष्टता का इंतजार कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि आयातित कोयले की ऊंची लागत विद्युत उत्पादकों द्वारा वहन की जाएगी और इस संबंध में कोई भी विपरीत स्थिति कोल इंडिया के मार्जिन पर दबाव बढ़ा सकती है।
इसके अलावा वित्त वर्ष 2013 के अनुमानों को पूरा किए जाने के लिए सितंबर 2012 की तिमाही के दौरान उत्पादन और लदान (डिस्पैच) अहम होंगे। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि चालू वर्ष के पहले चार महीनों में उत्पादन की रफ्तार को देखते हुए वित्त वर्ष 2013 के उत्पादन लक्ष्य के मुकाबले कुछ कमी देखी जा सकती है। फिलहाल विश्लेषकों का मानना है कि कोल इंडिया लक्ष्य को हासिल कर लेगी। इसे देखते हुए ज्यादातर विश्लेषक इस शेयर पर सकारात्मक हैं। ब्लूमबर्ग के अनुसार आम सहमति के आधार पर कीमत लक्ष्य 385 रुपये पर है जो 353 रुपये के मौजूदा स्तर से 9 फीसदी की संभावित तेजी का संकेत है।

लदान में तेजी
जून 2012 की तिमाही के दौरान रेलवे रेक (कोयला आपूर्ति के लिए डिब्बे) की बढ़ती उपलब्धता से कोल इंडिया की लदान में तेजी आई। रेलवे रेक की उपलब्धता जून तिमाही में बढ़ कर 177 रेक प्रतिदिन रही जो जून 2011 की तिमाही में 164 रेक प्रति दिन थी। वहीं रेलवे के जरिये उठाव में 11.2 फीसदी (सालाना आधार पर कुल उठाव 6.4 फीसदी की वृद्घि के साथ 11.304 करोड़ टन रहा) का इजाफा हुआ। जून 2012 की तिमाही के लिए उत्पादन 10.247 करोड़ टन (एमटी) रहा जो सालाना आधार पर 6.4 फीसदी अधिक है।

दूसरी तिमाही पर नजर
पिछली दो तिमाहियों में कोल इंडिया के संयुक्त उत्पादन (24.707 करोड़ टन) और लदान (23.587 करोड़ टन) से संकेत मिलता है कि कंपनी ऊंची दर पर डिस्पैच को बरकरार रखने के लिए इन्वेंट्री से लैस है। इस संदर्भ में कोल इंडिया जुलाई के दौरान 3.62 करोड़ टन की लदान में सफल रही, हालांकि उत्पादन 3.18 करोड़ टन रहा जो 3.23 करोड़ टन के उत्पादन लक्ष्य की तुलना में कम है। इससे कुछ हद तक चिंता पैदा हुई है। हालांकि दाइवा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का मानना है कि उत्पादन वृद्घि में कुल गिरावट कुछ सहायक इकाइयों में अस्थायी समस्याओं की वजह से आई है और आने वाले महीनों में यह वृद्घि सामान्य रहनी चाहिए। सितंबर तिमाही के लिए कंपनी ने 9.6 करोड़ टन के उत्पादन और 10.7 करोड़ टन की लदान का लक्ष्य रखा है।

संशोधित एफएसए
1.5 फीसदी की बेस पेनाल्टी और 40 फीसदी (50 फीसदी से कम आपूर्ति) की पीक पेनाल्टी के लिए विद्युत उत्पादकों के साथ एफएसए के लिए संशोधित पेनाल्टी क्लॉज का शेयर बाजार ने स्वागत किया है। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का मानना है कि यह पूर्व के प्रस्तावों की तुलना में काफी बेहतर है। इसके अलावा प्रतिबद्घता और अपने स्वयं के उत्पादन के बीच किसी अंतर को पाटने के लिए कोयले के आयात का भी विकल्प है जिसे देखते हुए भी कोल इंडिया पर पेनाल्टी का अधिक प्रभाव पडऩे की आशंका नहीं दिख रही है।
हालांकि प्राइस पूलिंग पर स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार किया जा रहा है। आमतौर पर यह माना जा रहा है कि विद्युत उत्पादक आयात की वृद्घिशील लागत को वहन करेंगे। हालांकि कोल इंडिया के मामले में वृद्घिशील लागत को साझा किए जाने से इसका मार्जिन प्रभावित हो सकता है।

पहली तिमाही
जून तिमाही में लागत नियंत्रण उपायों से कंपनी को परिचालन मुनाफा मार्जिन में मदद मिली, हालांकि 6130 करोड़ रुपये पर कर्मचारी लागत सालाना आधार पर 26 फीसदी अधिक रही। तिमाही आधार पर कर्मचारी लागत में 33 फीसदी की कमी आई। इसके अलावा संयुक्त रूप से संविदात्मक, विविध और ओवरबर्डन रिमूवल खर्च 1719 करोड़ रुपये (तिमाही आधार पर 40 फीसदी की कमी) तक घटा जिससे एबिटा मार्जिन 29.2 फीसदी बढ़ा जो मार्च की तिमाही में 19.5 फीसदी पर था।

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 डिवीज लैबोरेटरीज को जेनेरिक्स से मजबूती

 डिवीज लैबोरेटरीज के शेयरों ने मौजूदा वित्त वर्ष में 46 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है। वैश्विक मंदी बरकरार है और ऐसे में शोध गतिविधियां घटने की आशंका जताई जा रही है, मगर इसके बावजूद कम लागत वाले उत्पादन मॉडल और ग्राहकों के साथ मजबूत संबंध की वजह से कंपनी का राजस्व और मुनाफा बढ़ा है। रुपये की कमजोरी से भी कंपनी के प्रदर्शन को बल मिला है क्योंकि उसे 90 फीसदी राजस्व निर्यात से हासिल होता है।
आने वाले समय में भी डिवीज के लिए बेहतर संभावनाएं नजर आ रही हैं। सभी सेगमेंट्स में बढिय़ा कारोबार हो रहा है। विशाखापत्तनम सेज से राजस्व और मुनाफे के और बढऩे की उम्मीद है। कंपनी पर फिलहाल ऊंचे कर का बोझ है, मगर सेज (यहां कर छूट का लाभ मिल रहा है) से बढ़े हुए उत्पादन के दम पर इसकी कुछ भरपाई हो रही है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर विश्लेषक (34 में से 32) ने शेयरों के लिए खरीद का सुझाव दिया है और 11 से 18 फीसदी की तेजी के साथ 1,250 से 1,325 रुपये का लक्ष्य तय किया है।

हर सेगमेंट में विकास, बढिय़ा मार्जिन
सभी सेगमेंट में विकास के दम पर डिवीज का राजस्व 29.7 फीसदी बढ़ा है। कॉन्ट्रैक्ट शोध और विनिर्माण (क्रैम्स) कारोबार से 22.25 फीसदी की दर से 214.8 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है। हालांकि जेनरिक्स का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा और बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 38 फीसदी बढ़कर 237.7 करोड़ रुपये रही। यहां तक की नए न्यूट्राक्यूटिकल सेगमेंट में भी 50 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई (इसका आधार छोटा है)। डिवीज ने मार्जिन के मोर्चे पर भी बाजार को आश्चर्यचकित किया है। जून तिमाही लगातार दूसरी ऐसी तिमाही है जब एबिटा मार्जिन 40 फीसदी के स्तर पर रहा है जबकि इससे पहले की तिमाहियों में यह 35 फीसदी से ऊपर था। जून तिमाही के लिए भी विश्लेषकों ने एबिटा मार्जिन 35 से 36 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था। मजबूत मूल्य निर्धारण ताकत और अधिक मार्जिन वाले प्रोडक्ट मिक्स की वजह से कंपनी की मार्जिन वृद्घि में मदद मिली है। रुपये की कमजोरी से भी इस पर अनुकूल असर पड़ा है।

कर दरें घटने की उम्मीद
जून तिमाही के दौरान कर देनदारी में 72 फीसदी का इजाफा हुआ। वित्त वर्ष 2012 से ही कर दरें ऊंची रही हैं। विश्लेषकों के मुताबिक दिवि के लिए कर दरें वित्त वर्ष 2011 में 9.1 फीसदी थी जो वित्त वर्ष 2012 में बढ़कर 21.7 फीसदी हो गई। निर्यात आधारित इकाइयों के लिए कर छूट खत्म होने की वजह से कर दरों में इजाफा हुआ है। जून 2012 तिमाही में कर की दरें 25.5 फीसदी थीं। हालांकि विशाखापत्तनम सेज में उत्पादन बढऩे से अगले दो साल के दौरान कर दरों में बदलाव आने की उम्मीद है। 

आगे की संभावनाएं
वित्त वर्ष 2012 के आखिर में दिवि का उपभोक्ता आधार बढ़कर 300 से भी ऊपर चला गया है। इसमें कंपनी के सभी कारोबार शामिल हैं। यह एक सकारात्मक पहलू है क्योंकि बढ़े हुए उपभोक्ता आधार से ऑर्डरों में तेजी कंपनी को अपना राजस्व विकास बनाने में मदद करेगी और साथ ही बिक्री को जोखिम भी कम हो जाएगा। असके अलावा विशाखापत्तनम सेज की दूसरी इकाई को जून से जुलाई 2012 के बीच 3 सीजीएमपी जांच के दायरे से गुजरना पड़ा है। इसमें टीजीए ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकी एफडीए शामिल है। विश्लेषकों का कहना है कि अब तक किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं जताई गई है और ऐसे में निष्कर्ष भी सकारात्मक रहने की उम्मीद है। कार्वी के विश्लेषकों का मानना है कि सेज को सफलतापूर्वक पूरा करने से कंपनी के पास नियमित बाजार के लिए उत्पादन और राजस्व बनाए रखने का मौका होगा।
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 કોપ્ય રીઘ્ત વિકાસ પ સંવત્સરે

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