Tuesday, March 22, 2011

ताजा विकिलीक्स खुलासे बताते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी से बात करना अमेरिकी महावाणिज्य दूत को काफी भारी पड़ गया था। इस बातचीत में मोदी ने अमेरिका को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा था कि दंगों और मानवाधिकार के मसले पर अमेरिका कुछ न ही बोले अच्छा है। उन्होंने कहा था कि इस बारे में खुद अमेरिका का रेकॉर्ड इतना खराब है कि उसे किसी को उपदेश देने का कोई हक नहीं है।
विकिलीक्स खुलासों के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने वॉशिंगटन को भेजी अपनी रिपोर्ट में बताया कि गुस्साए मोदी ने ओवन पर पलटवार करते हुए कहा था, यह गुजरात का अंदरुनी मामला है और अमेरिका तो खुद मानवाधिकार हनन के गंभीर मामलों का आरोपी रह चुका है। यह रिपोर्ट 27 नवंबर 2006 को भेजी गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक गांधीनगर में हुई इस औपचारिक और सौहार्दपूर्ण मुलाकात में कड़वाहट का माहौल तब बन गया था, जब ओवन ने गुजरात के इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशासन से इतर चीफ मिनिस्टर मोदी से राज्य के सांप्रदायिक हालात पर बात छेड़ दी। यह मुलाकात मोदी को अमेरिका की ओर से वीजा दिए जाने से इनकार करने के बाद पहली बार हो रही थी। अमेरिका ने मार्च 2005 में मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था जब उन्‍हें वहां किसी कार्यक्रम में हिस्‍सा लेने जाना था।
अंग्रेजी दैनिक 'द हिंदू' में छपी खबर के मुताबिक 2 नवंबर 2006 को अमेरिकी महावाणिज्य दूत, माइकल एस. ओवन ने इस बातचीत का जिक्र केबल में किया था। केबल के मुताबिक ओवन ने मोदी से कहा था, 'गुजरात के साथ अपने बिजनस और पीपल टु पीपल रिलेशंस पर तो हम काफी खुश हैं, लेकिन राज्य में सांप्रदायिक हालात को लेकर चिंतित हैं। खास तौर पर हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि अब तक 2002 के दंगों के लिए किसी को भी दोषी नहीं माना गया है।' ओवन की इस बात पर मोदी गुस्सा गए थे।
केबल में लिखा है कि मोदी ने जवाब में तीन बातें कही थीं। पहली, 2002 का घटनाक्रम गुजरात का आंतरिक मामला है और यूएस को इस बारे में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। दूसरी, यूएस खुद मानवाधिकार हनन का दोषी पाया गया है, चाहे मामला अबू धाबी का हो, ग्वांतानामो का हो या फिर 9/11 के बाद सिखों पर हमलों का। इसलिए मोदी को ऐसे मसलों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। तीसरी बात, देश के किसी अन्य हिस्से के मुकाबले मुसलमान इस राज्य (गुजरात) में ज्यादा सेफ हैं। तो ऐसे में किसी को क्या परेशानी हो रही है?
ओवन के यह कहने पर कि सिर्फ यूएस ही नहीं इंडियन नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन भी गुजरात के दंगों में हिंसा न रोक सकने को 'राज्य सरकार की विफलता' मानता है, मोदी ने पलट कर कहा था कि इंडियन नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन निष्पक्ष नहीं रहा और इसकी रिपोर्ट्स गलत रही हैं।


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