दुनिया की बड़ी वित्तीय कंपनियों और पीई फंडों ने मिलकर भारत में वित्तीय फर्म नई वित्तीय फर्म भारत में कंपनियों को कर्ज देगी, स्ट्रक्चर्ड और मेजानाइन फाइनैंसिंग करेगी, प्रमोटरों को फंड मुहैया कराएगी और रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के फंड की जरूरतें पूरी करेगी। मेरिल लिंच के पूर्व निदेशक संदीप बैद भी नई कंपनी को अपनी सेवाएं देंगे। पहली बार कुछ प्राइवेट इक्विटी कंपनियां मिलकर भारत में गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) शुरू करने जा रही हैं। अब तक बहुराष्ट्रीय बैंकों और वैश्विक वित्तीय समूहों ने भारत में एनबीएफसी क्षेत्र में उतरने के लिए सब्सिडियरी का रास्ता अपनाया हैं। इसके अलावा सिटी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड जैसे विदेशी बैंकों, केकेआर जैसे समूहों, नोमुरा और टेमासेक (सिंगापुर में दूसरी फर्म के जरिए) ने भारत में गैर-बैंकिंग सब्सिडियरियां बनाई हैं। गोल्डमैन सैक्स अपने एक प्राइवेट इक्विटी फंड के जरिए नई कंपनी में निवेश करेगी। गोल्डमैन की भारत में पहले से ही एक एनबीएफसी सब्सिडियरी है। प्रस्तावित कंपनी के बारे में कोई अधिकारिक पुष्टि उपलब्ध नहीं हो सकी, लेकिन वित्त बाजार के सूत्रों ने बताया कहा कि इसमें निवेश करने वाले पीई फंडों में बेयर कैपिटल और एसीपी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि नई कंपनी करीब 1,000 करोड़ रुपए की इक्विटी पूंजी के साथ कारोबार शुरू करेगी। विदेशी संस्थागत निवेशकों और पीई फंडों ने भारत में वित्तीय सेवा के क्षेत्र में उतरने के लिए हमेशा एनबीएफसी के रास्ते का इस्तेमाल किया है। ऐसे निवेशकों को भारत में बैंकिंग लाइसेंस हासिल करने के लिए कड़े नियमों का सामना करना पड़ता है। यदि वे किसी बैंक में हिस्सेदारी खरीदते हैं तो भी उन पर ऑनरशिप और वोटिंग राइट्स (अभी 10 फीसदी की सीमा) से संबंधित कड़ी शर्तें लागू होती हैं। हालांकि, कोई विदेशी संस्था एनबीएफसी में 100 फीसदी हिस्सेदारी रख सकती है। कड़े नियमों के बावजूद बैंकों और एनबीएफसी के बीच का रास्ता निकाल लिया जाता है। कंपनी में धीरे-धीरे हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रमोटरों को फंड मुहैया कराने, पार्टनर की हिस्सेदारी खरीदने के लिए फंड देने और नए अधिग्रहण के वास्ते फंड देने का काम एनबीएफसी द्वारा किया जाता रहा है, क्योंकि बैंक एक सीमा से ज्यादा पूंजी बाजार में निवेश नहीं कर सकते। इसके अलावा उनके द्वारा किसी एक कंपनी यह समूह को दिए जाने वाले कर्ज की सीमा भी तय है। इसके अलावा वैसे क्षेत्रों में जहां बड़े बैंक ज्यादा कर्ज नहीं देना चाहते वहां एनबीएफसी कर्ज की जरूरतें पूरी करने का काम कर रही हैं। एनबीएफसी रियल्टी और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा जारी किए जाने वाले डेट सिक्युरिटीज (ये कनवर्टिबल डिबेंचर से अलग होते हैं) खरीद लेती हैं। ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- | |||||||||
5680 के ऊपर सिमटा निफ्टी; ऑटो, कैपिटल गुड्स चढ़े
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Monday, March 28, 2011
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